वरदान या अभिशाप (मोबाइल)

वरदान या अभिशाप?

धीरे धीरे प्यार को बढ़ाना है हद से गुजर जाना है
ये गाना जिस किसी ने भी लिखा हो पर है बहुत सटीक
आज के माहौल पे एक दम फिट।
किस ने सोचा था आधा किलो वजन वाला मोबाइल धीरे धीरे इतना सिल्म और फिट हो जायेगा कि हर किसी की पहली महबूबा बन जायेगा।
अब तो साहब जिसे देखो वो ही इसे सीने से चिपकाए रहता है, शायद इतना प्यार तो इंसान ने किसी पर भी ना लुटाया होगा जितना इसको नसीब हो रहा है।
इधर उधर, आगे पीछे, दाएं बाएं जिसे देखो बस अपने मोबाइल में ही खोया है।
वैसे गुण भी तो इसमें पूरे ३६०० हैं और रूप..... वाह साहब.... दुबला पतला छरहरा, सांवली सी गहरी सूरत..... और तो और सबके मन मुताबिक दाम भी, और लोगों को दुनिया में इससे ज्यादा चाहिए भी क्या।
हरेक काम करता है आपका, मोबाइल अब वो पुराना वाला फोन नहीं रहा...... अब तो ये मल्टीटास्किंग करने में दिनो दिन तरक्की करता जा रहा है।
पूरे खानदान के जन्म दिन, शादी की सालगिरह, या कोई और खास दिन याद रखना है.... भूल जाओ जी डायरियां, मोबाइल है ना याद रखेगा भी और समय पर किसी सच्चे हितैषी की तरह से याद भी दिला देगा।
चाचा, मामा, ताऊ, फूफा, और न जाने कितने रिश्तेदारों के जिंदगी के सारे खास दिनो की फेहरिस्त भूलने की बात ही भूल जाओ जी। किसकी बरसी, किसका पोता, किसकी नातिन कब कब है सब इसने अपने दिमाग में फिट कर लिया है ताकि आपको अपने नन्हे दिमाग पर जोर ना डालना पड़े ना ही कभी शर्मिंदा होना पड़े। और तो और भूले बिसरे रिश्तेदारों के नाम भी संभाल कर रखे हैं इसने।
वो जैसे पटियाले वाली मौसी के देवर के साडू का नंबर जो आप हर बार भूल जाते थे और फिर जलील होते थे, वो भी इसने याद रखा हुआ है।
तो भाई, इतने होनहार और जीनियस को तो प्यार करना बनता है ना...... नहीं क्या... अच्छा और सुनो
फोटो खींचनी है या किसी को दिखानी है, लो जी, पलक झपकते ही मोबाइल से खींच कर भेज दो whatapp पर, आखिर 16 मेगापिक्सल का कैमरा और 64जीबी की मेमोरी किस दिन काम आयेगी।
अब मोबाइल के होते आप ने कोई एस्पेशल वाला मोमेंट मिस नी करना है जी। चिंटू कब पहली बार चला, या कब वो रोता हुआ स्कूल गया या फिर कब उसको स्कूल की फैंसी ड्रेस में भालू बनने का प्राइज मिला, ये सब के लिए अब भारी भरकम कैमरों की जरूर नहीं है। बस 50 ग्राम का मोबाइल उठाओ और खींच लो मनभावन तस्वीरें।
गाने सुनने हैं या खबरें या फिर मूवी ही देखनी है अपना मोबाइल है ना जी ऑल इन वन, रेडियो भी, अखबार भी, सिनेमा हाल भी और डिस्को भी।
सोशल मीडिया के दीवाने हो, चैट करनी है, ट्वीट करनी है या फेस बुक इंस्टा ग्राम, अरे भाई मोबाइल में सब मिलेगा।
क्या कहा ज्ञान चाहिए, हां तो लो ना, ऑनलाइन शिक्षा स्कूल से कॉलेज से यूट्यूब से या फिर सीधे गूगल बाबा से ज्ञान का भंडार है आपका ये छुटका सा मोबाइल।
लिखने का शौक है या पढ़ने का लेखनी जैसे बेहतरीन मंच हैं ना मोबाइल पर, फायदा उठाइए।
खरीदारी के शौकीन हैं तो घर बैठे दाल चावल आटा सब्जी तरकारी से लेकर कपड़े लत्ते जूते चप्पल घड़ी कैमरा और यहां तक की कंप्यूटर मोबाइल इत्यादि देश विदेश से खरीदिए, रोका किसने है। अब तो जी रुपए पैसे लेन देन का कारोबार भी मोबाइल ने संभाल लिया है और बैंक वाले खाली बैठ कर मार रहे हैं मक्खियां..... हां जी हां मालूम है उनकी बड़ी मौज है अब, पर ये तो सोचो पेटीएम गूगल पे भीम और ऐसे कितने ही साथी हैं मोबाइल के जो आपको खामखा बैंक के चक्कर लगाने से बचाते हैं।
और तो और भाई जी.....जेब कटने का खतरा भी कम हो गया...... कैश होगा नहीं तो जेब से क्या मिलेगा बाबा जी का ठुल्लू...... सारे जेब कतरे यूनियन इस मोबाइल के खिलाफ आमरण अनशन करने की प्लानिंग बना रहे हैं। सारा धंधा ही चौपट कर दिया बेचारों का।
मोबाइल है जहां, सबकुछ है वहां.....
अब देखो जी अपना प्यारा मोबाइल है तो सीधा सादा बस  दुनिया टेढ़ी है
तो बेचारे सीधे से मोबाइल को गलत रास्तों पर चला रही है।
अब आप मोबाइल पर नीली पीली फिलिम देखोगे तो इसमें बेचारे मोबाइल का क्या दोष उसने थोड़ी कहा आपको कभी।
समाज में जागरूकता लाने के बजाय अगर लोगों को उकसाने और भड़काने के लिए बेचारे मोबाइल का इस्तेमाल करोगे तो वो बेचारा मासूम क्या जाने।
लोगों को झांसा देकर ठगने के लिए मोबाइल को जरिया बनाओगे तो इसमें उसकी क्या गलती।
मोबाइल का इस्तेमाल धार्मिक भावनाओं को आहत करने या फिर किसी और मकसद से करोगे तो वो क्या कर सकता है।
भोली भाली लड़कियों को बहला फुसला कर उनको गुमराह करने और उन्हें बदनाम करने के लिए करोगे तो मोबाइल की जिम्मेदारी थोड़ी है।
खेल कूद का समय अगर मोबाइल गेम में गवाओंगे तो जिम्मेदारी आपकी और आपके अभिभावकों की है, ना की मासूम मोबाइल की...
वो बेचारा तो नित नए रूप रच रहा है आपको ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने के लिए। शायद ये बहस बेमानी है कि मोबाइल एक वरदान है या अभिशाप, आज मोबाइल की वजह से दूरियां घटी हैं, दुनिया भर के लोग पास आए हैं।
शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, मेडिकल, इंजीनियरिंग, कृषि और तकरीबन हर क्षेत्र में सहयोग के द्वार और अधिक खुले हैं।
मेरा निजी अनुभव कहता है मोबाइल इस सदी का महानतम वरदान है यदि हम उसका सही इस्तेमाल करें, वहीं अगर इसका गलत इस्तेमाल किया जाए तो ये किसी अभिशाप से भी कम नहीं।
ये हम सबको निर्णय लेना है कि हम मोबाइल को वरदान बनाएंगे या अभिशाप।


अपने विचार मुझे जरूर बताइएगा 🙏🏻🙏🏻

आभार – नवीन पहल – ०८.०३.२०२२ ❤️❤️🌹🙏🏻

वार्षिक प्रतियोगिता हेतु

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

10-Mar-2022 01:43 AM

बहुत ही शानदार लिखते हैं आप सर

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Niraj Pandey

09-Mar-2022 11:46 AM

वक्त वक्त की बात है किसी वक्त वरदान तो कभी अभिशाप साबित होता है मोबाइल

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